Monday, September 3, 2007

क्या यही है जनतंत्र ?

कुछ दिनों पहले इंडियन एक्सप्रेस में एक बच्चे की मौत की खबर पढ़ी !!! खबर नई नहीं थी ... कहने वाले जरूर कहेंगे "गीता का सार" ... खैर घटना हिमाचल की थी ... बच्चे के मां बाप मंडी से अपने बीमार बच्चे का ईलाज करवाने शिमला आए थे ... लेकिन सचिवालय के पास फंस गए कांग्रेस भाजपा की कुश्ती में ... बिचारे गिड़गिड़ाते रहे ... मांगते रहे अपने बच्चे को अस्पताल पहुंचाने की भीख लेकिन "जनप्रतिधियों " का दिल नहीं पसीजा ... मुख्यमंत्री एक विधायक की खिड़की से खड़े होकर अपने पहलवानों का उत्साहवर्धन कर रहे थे ... इसमें बेचारे गरीब की इल्तिजा कौन सुनता ... सही भी है ... जन तंत्र में तंत्र आप तो चलाते नहीं हैं ... बहरहाल दौड़कर जब वो अपने बच्चे को गोद में ही अस्पताल ले गए तब तक उसकी मौत हो चुकी थी ... मैंने सोचा शायद मेरा चैनल इस खबर को तो उठा ही लेगा ... लेकिन सलमान भगवान के आगे "एक बच्चे की मौत"
कौन पूछे!!!

3 comments:

अनिल रघुराज said...

हमारे जनतंत्र से जन ही गायब है, केवल तंत्र ही तंत्र है। दिक्कत ये है कि हम आप बस तमाशा ही देखने को अभिशप्त हैं।

Unknown said...

दरअसल इस देश में जनतंत्र के नाम पर धनतंत्र का बोलबाला है...हर चीज के पीछे पैसा है...और अगर आपके पास ये आधुनिक संजीवनी नहीं है तो आप गलियों में ...सड़को पर यहां तक की नालियों में भी मरेंगे......गरीब की पुकार तो अब ऊपरवाले भी नहीं सुनते...नीचे वाले का क्या कहना.....

जयनगरा वाली said...

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