Friday, August 31, 2007

भगवान घर आए


आखिर भक्तों की मुराद पूरी हो गई ... भगवान संजय के बाद भगवान सलमान भी घर पहुंचने वाले हैं ... और अपनी संजय दृष्टि के साथ हमारी पूरी जमात ये दृश्य भक्त जनों तक पहुंचाने में जुटी है ... हो भी क्यों आखिर देवता पशुदलन करने के बाद जेल से जो छूटे हैं ... अभी मैं महसूस कर सकता हूं न्यूज चैनलों का उन्माद (क्योंकि मैं ब्यूरो में सिमटा हुआ हूं) ... हर बात पर विश्लेषण हो रहा होगा सलमान भगवान ने क्या कपड़े पहने हैं ... उनकी भाव भंगिमाएं कैसी हैं
सच पूछिए शर्म आती है ...
इस बात को चीख कर कह सकता हूं कि कम से कम मैं ऐसे लोगों को संपादक मानने से इंकार करता हूं जिनकी नजरों में ये खबरें खबरों से ज्यादा मिशन बन जाती हैं ... इनको मैं खबर भी इसलिए मान लेता हूं कि ये कथित तौर पर पब्लिक फिगर हैं ... लेकिन प्रधानमंत्री एटमी करार पर क्या बोल सकते हैं ... विदर्भ के लिए क्या पैकेज है ... तेल लेने जाए साहब ये तो कल अखबारों में भी हम पढ़ सकते हैं ... इसके लिए दिमाग खर्च करने की क्या जरूरत है ... ये और बात है कि हमारे आकाओं को शायद ही पता हो कि हाइड एक्ट क्या है ... आखिर करार पर तकरार क्यूं है ... तो दिखाओ हम क्या दिखाना चाहते हैं ... और उस पर चिपका दो लेबल कि लोग क्या देखना चाहते हैं ....
खैर नक्करखाने की तूती की तरह हमारे साथ आवाज बुलंद करने वाले चंद ही हैं ... फिर भी आस है कि ये आवाज कभी न कभी चीख बनेगी