Saturday, April 21, 2018

सामूहिक क़त्ल !

आहिस्ता-आहिस्ता
एक ख़ामोश साज़िश चल रही है ...
फिर एक दिन हो जाएगी
मौत...
कोई रपट नहीं लिखेगा
ना कोई मर्सिया पढ़ेगा...
ना होगा अंतिम संस्कार
जानती हो
बिटिया...
तुम जैसे-जैसे बड़ी होती जाओगी....
तुम्हारे बाप के अंदर की मां
सामूहिक रूप से मार दी जाएगी
आहिस्ता-आहिस्ता !

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