चिठ्ठा जगत में जुड़ने से पहले लगा कि यहां शायद कुछ क्रांतिकारी मित्र मिल जाएं ... जिन्हें दुनियां के सामने आने में किसी भी कारण से डर लग सकता है लेकिन यहां ब्रेफ्रिकी होगी ... लेकिन मैं गलत था डरपोकों की एक पूरी जमात यहां भी मौजूद है ... छद्म नाम ... छद्म काम ... अरे साहब थोथली बातें सिर्फ दिल को खुश रखने के काम आती हैं ... कम से कम यहां तो खुल कर बोलिए उनके खिलाफ जिनके सामने जाने से भी आप डरते हैं।
Friday, September 7, 2007
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2 comments:
ये जमात सिर्फ डरपोक ही नहीं है बल्कि ये वो लोग है जो खुद तो अपनी जिंदगी से भटके हुए हैं मगर दुनिया को सही रास्ते पर लाने का डपोरशंखी दावा करते हैं....अब इस जमात की करतूतों से दुनिया कितनी सुधर रही है ये कहना तो मुश्किल हैं.लेकिन इस बीच पैसे बनाने की होड़ में ये हर मर्यादा को लांघकर अपनी नई दुनिया बनाने में मशगूल हैं
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