विसर्जन की ऐसी तस्वीरों के खिलाफ सरकार ने पाबंदी लगा रखी है ... पर मैं इन तस्वीरों को छापकर इस बंदिश के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराता हूं ... हिम्मत है तो पहले ऐसे विसर्जन के खिलाफ पाबंदी लगाइये....
जब तक पूजा होती है तब तक यही मूर्तियां कितनी पावन और पूजनीय लगती हैं लेकिन विसर्जन की विभीषिका से गुजरने के बाद यहीं मूर्तियां कितनी दयनीय लगने लगती है। सर्वसाधारण की सुनने वाली इन मूर्तियों की ये अनसुनी पुकार कब सुनेगी सरकार। सुन रहे हैं ना....
घर में जलाते हैं भगवान पर की मुर्तियों पर सुगंधित अगरबत्तियां और जब घर की करते हैं सफाई तो सड़कों पर फेंके जाते हैं भगवान और पैरों से कुचले जाते हैं भगवान। इन मुर्तियों की तस्वीरें देखकर याद आई मेरी लिखी कविता। अनुराग जी पाबंदी मत लगवाइएं भगवान बनाने वालों की रोजी रोटी छिन जाएंगी।
Nischit roop se pratima sthapak pratima ke sath apni bhavnaye aur shraddha bhi visarjit kar jate hain.
Rahi baat visarjan ke tarike ki to vishaal pratimaon ke visharjan ki vishesh vyavasth karna hindu dharm ke jhandabardaron ke jimme nahin chhodi ja sakati ye to sabhi jante hai.
kya lal baug ke raja ko lakhon rupayon ka chadawa arpit karne wale shraddhaluon ka dhyan is or kabhi nahin gaya........
क्या हूं जफर अंधेरे उजाले की जंग में ... दिन सा मेरे वजूद में ये डूबता है क्या ...
ऐसे ही कुछ जिंदगी की शुरूआत की ... जिंदगी की लहरों से खूब गुत्थमगुत्था हुआ ... कई बार अव्वल आने के बाद बारहवीं में फेल होने ने जिंदगी के नए आयाम सिखाए पर ठहराव नहीं ... मैनजमेंट से लेकर बीएससी छोड़ने के बाद भोपाल से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन ... फिर नाटकों से प्यार ... बाद मैं एमसीआरसी जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पोस्ट ग्रेजुएशना ... फ्री प्रेस, पीटीआई, स्टार न्यूज के बाद फिलहाल एऩडीटीवी में कार्यरत ... हॉकी में नेशनल और कई खेलों की खिदमत ... संगीत और चित्रकारी मे भी थोड़ी दखल ...
3 comments:
जब तक पूजा होती है तब तक यही मूर्तियां कितनी पावन और पूजनीय लगती हैं लेकिन विसर्जन की विभीषिका से गुजरने के बाद यहीं मूर्तियां कितनी दयनीय लगने लगती है। सर्वसाधारण की सुनने वाली इन मूर्तियों की ये अनसुनी पुकार कब सुनेगी सरकार। सुन रहे हैं ना....
घर में जलाते हैं भगवान पर की मुर्तियों पर सुगंधित अगरबत्तियां और जब घर की करते हैं सफाई तो सड़कों पर फेंके जाते हैं भगवान और पैरों से कुचले जाते हैं भगवान। इन मुर्तियों की तस्वीरें देखकर याद आई मेरी लिखी कविता। अनुराग जी पाबंदी मत लगवाइएं भगवान बनाने वालों की रोजी रोटी छिन जाएंगी।
Nischit roop se pratima sthapak pratima ke sath apni bhavnaye aur shraddha bhi visarjit kar jate hain.
Rahi baat visarjan ke tarike ki to vishaal pratimaon ke visharjan ki vishesh vyavasth karna hindu dharm ke jhandabardaron ke jimme nahin chhodi ja sakati ye to sabhi jante hai.
kya lal baug ke raja ko lakhon rupayon ka chadawa arpit karne wale shraddhaluon ka dhyan is or kabhi nahin gaya........
yadi nahin to unhe aisi kathor sachchai darshane wali photos dikhana hoga.
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